
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा का कांग्रेस में आधिकारिक तौर से महासचिव पद को स्वीकार करने मात्र से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है
भारत की राजनीतिक रणभूमि और कांग्रेस की चुनावी रणनीति में प्रियंका गांधी का आधिकारिक रूप से प्रवेश करना मीडिया की भाषा मे ‘कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक’ तो नहीं है?
कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का प्रियंका गांधी से लगाव हमेशा से कुछ अलग ही तरह का रहा है। अमेठी और राय बरेली में जब भी लोक सभा एवं विधानसभा के चुनाव हुए हैं प्रियंका गांधी अपने भाई या माँ सोनिया गांधी (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष) के साथ चुनाव प्रसार करती ज़रूर नज़र आती रही हैं। उन चुनावी क्षेत्रों में वो जहां भी गयीं उनका हर्ष और उल्लास से स्वागत होता देखा गया है।

पूर्वांचल बना रणक्षेत्र
पार्टी कार्यकर्ताओं में हमेशा से प्रियंका गाँधी एक जोश का स्रोत प्रतीत हुई हैं। अब यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की बेटी और अपनी बहन प्रियंका को एआईसीसी महासचिव बना के राहुल गांधी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी दी है। फ़रवरी के पहले सप्ताह से प्रियंका अपनी ज़िम्मेदारी संभाल लेंगी। अमरीका से 4 फ़रवरी को वो दिल्ली वापस आ चुकी हैं और अब उनका अहम् बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
अब जब कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर अकेले अपने दम पर लड़ने का मन बना ही लिया है, तो प्रियंका और ज्योतिरादित्य सिंदिया दोनों को मेहनत करनी होगी। सिंदिया भी महासचिव बनाये गए हैं और उन्हें पश्चिम उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी दी गयी है।

पूर्वांचल में भाजपा को अपने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर पूरा भरोसा है। सैंतालिस (47) साल की प्रियंका गांधी इन दिग्गज नेताओं से किस तरह सीधी टक्कर लेती हैं ये तो आने वाले दिन ही बताएंगे। लोक सभा सीट और गोरखपुर सीट दोनों ही पूर्व उत्तर प्रदेश में आती हैं जिसकी कमान अब प्रियंका संभालने जा रही हैं।
मिशन 30 का फ़ॉर्मूला
राहुल गांधी का कहना है कि कांग्रेस यूपी में अब बैकफ़ुट नहीं, बल्कि फ्रंटफ़ुट पर ही खेलेगी। अपनी बहन को काबिल और कर्मठ मानते हुए उनकी टीम ने मिशन 30 का फ़ॉर्मूला भी तैयार किया है। मिशन 30 यानी यूपी की उन 30 सीटें पर फ़ोकस जिनपर 2014 में कांग्रेस को एक लाख से ज़्यादा वोट मिले थे। अब देखना ये है कि अगर वोट सपा और बसपा में नहीं बिखरा तो कॉन्ग्रेस को इस फ़ॉर्मूले से क्या लाभ मिलता है और भाजपा का किस तरह फ़ायदा होता है।
रॉबर्ट वाड्रा का साथ

रॉबर्ट वाड्रा के साथ प्रियंका गांधी की शादी 1997 में हुई और अब उनके दो बच्चे भी हैं। हालांकि रोबर्ट वाड्रा का नाम प्रॉपर्टी और रियल एस्टेट संबंधी विवादों में अक्सर मीडिया में आया है, लेकिन इसका कोई विपरीत असर प्रियंका की छवि पर नहीं पड़ा है। रोबर्ट ने भी प्रियंका के इस नए राजनीतिक मोड़ का स्वागत किया है और ट्विटर पर भी उन्हें बधाई दी है।
कई कांग्रेसियों को प्रियंका गांधी अपनी दादी पूर्व प्रधान मन्त्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी का रूप लगती हैं। ये तो आने वाला चुनाव 2019 ही बताएगा कि प्रियंका का राजनीतिक अभिषेक कांग्रेस का सफ़ल मास्टरस्ट्रोक था, कि मात्र एक असफ़ल प्रयोग।
आप बताइये — क्या प्रियंका गाँधी वाड्रा के राजनीति में आने से कांग्रेस के चुनाव परिणाम बेहतर होंगे?