
बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सिर्फ एक बात ही सिखाई गयी की अच्छे और बुरे में फर्क समझो। अच्छे लोग अच्छी बातें और अच्छाई की पहचान करो और बुराई से बचो, बुरे लोगो से दूर रहो। ये बात कितनी हद तक आज कल लोगो के जीवन को प्रभावित कर रही है। और सब कुछ समझने के बाद भी लोग हर बात को कितना ज्यादा गंभीरता से ले रहे है। जो लोगो के लिए बेहद ही दर्दनाक साबित हो रहा है।
किसी भी छोटी सी बात को इतना ज्यादा तूल देना की वो आपके लिए हानिकारक साबित हो जाए। ये आपके लिए तो गर्त तैयार करती ही है साथ में वो लोग जो आपके साथ जुड़े हुए है उनको भी बहुत ज्यादा कष्ट पहुंचाते है। लड़कपन से जवानी की उम्र का जो सबसे पेचीदा पड़ाव होता है उसमे ही युवा पीढ़ी बातों को दिमाग से ना सोचकर दिल से ज्यादा लगाते है। जिसके कारण तनाव बढ़ना लाज़मी है। और लोग किसी भी हद से गुजरने पर मज़बूर होते चले जाते है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के आँकड़ो के अनुसार भारत तनावग्रस्त लोगो की सूची में पूरे विश्व में 6वे पायदान पर पहुँच चुका है। और आत्महत्या की दर बढ़कर 1 लाख पर 11 हो गयी है। जो बहुत ही चौकाने वाले आँकड़े है। अब ऐसे में क्या परिस्थितियाँ बन रही है जिसके कारण यह दर बढ़ती जा रही है और इसके रोकथाम के लिए क्या करना उचित होगा।
व्यायाम
व्यायाम की सहायता से आप अनिद्रा, तनाव और मानसिक रोगों से बच सकते है। व्यायाम से आप मेन्टल और फिजिकल दोनों रूपों में खुदको फिट रख सकते है। जिसके बाद से डिप्रेशन का कोई भी इम्प्रेशन आपको टच भी नहीं कर पायेगा।
लिखने की आदत डालें
डिप्रेशन को दूर करने के लिये आपको लिखने की आदत डालनी होगी। लिखने से एक तो आपके दिल और दिमाग पर कोई बोझ नहीं रहता है और साथ ही आप दैनिक जीवन में होनी वाली चीजों को भी नियमित प्रारूप से दिशा दे सकते है।
दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताये
अकेलेपन की वजह से भी आप कई बार डिप्रेशन का शिकार हो जाते हो। लोगो में घुलना मिलना भी बहुत जरूरी होता है। जिसके लिए बड़े बुज़ुर्ग कह गए है “जहाँ चार यार मिल जाए वही रात हो गुलज़ार”। इसलिए जब भी समय मिले अपने परिवार और दोस्तों के साथ बैठे गप्पे लगाए।
हॅसते रहिये
आपको कुछ आये ना आये हँसना जरूर आना चाहिये। मुकद्दर का सिकंदर बनने के लिए हास्य का आपके जीवन में होना अति आवश्यक है। हॅसने से दिल हमेशा चुस्त रहता है और शरीर तंदरुस्त। कोई कुछ भी बोले आप हमेशा मुस्कुराकर उत्तर दीजिये। हॅसते-हॅसते कट जाए रस्ते।
“ना” कहना सीखे
यदि ऑफिस में ज़्यादा वर्क लोड है और अपने काम को समय से पूरा नहीं कर पा रहे है और नए काम के लिए मना भी नहीं कर पा रहे रहे तो ऐसी स्थिति में आप तनाव से ग्रस्त हो सकते है। इसलिए जरुरी नहीं हमेशा आप हाँ में उत्तर दे कभी-कभी ना कहना भी ज़रूरी हो जाता है।
संगीत का सहारा ले
स्ट्रेस को दूर करने के लिए आप संगीत का भी सहारा ले सकते है। धीमा इंस्ट्रुमेंटल संगीत आपके शरीर के रक्तचाप को संतुलित रखता है और तनाव को आपसे दूर करने में मदद करता है। संगीत की लय से आपके जीवन में भी लय आ सकती है इसलिए गीत गाइये और गुनगुनाइए टेंशन को दूर भगाइये।